Global Warming Side Effects In Hindi
ग्लोबल वार्मिंग के साइडइफेक्ट्स
Global Warming |
पृथ्वी का उत्तर ध्रुव 198 से 2005 इस अंतराल में आग्नेय दिशा से उत्तर की और हरसाल 6 सेंटीमीटर की तेजीसे सरक रहा था। मगर अभी उसकी तेजिमे और दिशा में भी बदल हुवा है।
2005 के बाद वो पूर्व का ग्रीनलैंड की और सरक रहा था। उसकी गति 21 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष इतनी ज्यादा बढ़ा है। वातावरण के ग्रीनहाउस वायु के प्रमाण बढ़ने की वजहसे ध्रुवी प्रदेशके बर्फ तेजीसे पिघल रहे है। इसकी वजहसे ये बदलाव हो रहा है ऐसा वैज्ञानिको ने नशा की और से आई रिपोर्ट पर कहा है।
पृथ्वी की दोनों ध्रुवो को निश्चित स्थान नहीं है। बर्फ पिघलना ,बरसात ,वातावरण की आद्रता इसकी वजहसे ध्रुव हमेशा आसपास वर्तुलाकार पद्धतिसे घूमते रहते है। इसकेअलावा भूगर्भ की गतिविधि से वो अपनी जगह बदलता है। ऐसा विज्ञानी कहते है।
इस बदलाव के कारण समुंदर के पानी में बढ़ोती हो रही है। दुसरीबात दुनिया का सबसे ऊचा शिखर माउंट एवेरेस्ट और उसकी परिसरके बर्फकी चादर तेजीसे कम होरही है। गए 50 साल गोलबल वार्मिंग यहाँ की बरफोके पहाड़ो के 13 टक्का पिघला है।
वैज्ञानिको के अनुसार 1 वर्गकिलोमीटर से भी कम ग्लेशियर सबसे ज्यादा तेजीसे गायब होरहे है। 60 दशक बाद इस ग्लेशियर का क्षेत्रफल 43 टक्के घटेगा और हिमरेखा भी 180 मीटर उपरतक सरख गई है। ऐसा इटली के मिलान विद्यापीठों के वैज्ञानिको ने कहा है।
हिमरेखा एक निश्चित उचाई पर एक केंद्रबिंदु है उसकीऊपर की बर्फ सालभर जमेहुई अवस्था में रहती है। ग्लेशियर के पिलगनेकीवजहसे एवरेस्ट परिसरके बर्फके निचे दबा पत्थर ऊपर आगया है। एवरेस्ट के ऊपर जमहुवे बर्फ के तापमान सम्बन्ध में नए दृष्टी कोण से पढ़ाई कररहे है।
इस दरम्यान एवरेस्ट के उपरका तापमान 90 दशक के बाद ०.6 टक्के से बढ़ोती हुई है। हिमवर्षा भी घटी है इसके पीछे ग्रीन हाउस वायु कारन मात्र है। मगर एवरेस्ट पर्वत में होरहे बदलावों के सम्बन्ध में कोईभी ठोस कारण का पता लगा नहीं है।
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